मार्च ख़त्म होने से पहले ही इस किस्म के करेले की करे खेती, तगड़े उत्पादन के साथ होंगी धांसू कमाई

मार्च ख़त्म होने से पहले ही इस किस्म के करेले की करे खेती , तगड़े उत्पादन के साथ होंगी धांसू कमाई करेला की खेती एक लाभकारी कृषि गतिविधि है, जो किसानों को अच्छा मुनाफा दे सकती है। करेला की अच्छी पैदावार के लिए उन्नत किस्मों का चयन करना बहुत महत्वपूर्ण है। आज हम आपको करेला की एक उन्नत किस्म, पूसा विशेष, के बारे में बता रहे हैं। यह किस्म न केवल अधिक पैदावार देती है, बल्कि यह कई कीटों और रोगों के प्रति भी प्रतिरोधी है। इस किस्म के फलों की मोटाई अधिक होती है और इनका रंग गहरा हरा होता है। इसकी गुणवत्ता और स्वाद के कारण लोग इसे खाना पसंद करते हैं, जिससे बाजार में इसकी मांग भी अधिक होती है।

क्या है इस किस्म की खासियत 

यह किस्म अधिक उत्पादन देती है, जिससे किसानों को अधिक लाभ होता है। यह किस्म कई प्रकार के कीटों और रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखती है, जिससे फसल को नुकसान कम होता है। इस किस्म के फल मोटे और गहरे हरे रंग के होते हैं, जो बाजार में अधिक पसंद किए जाते हैं। यह किस्म मैदानी क्षेत्रों में खेती के लिए बहुत उपयुक्त है।

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कैसे करे इसकी खेती 

करेला की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। मिट्टी का pH मान 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए। खेत की अच्छी तरह से जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए। खेत में जैविक खाद या गोबर की खाद डालकर मिट्टी को उपजाऊ बनाएं। करेला की बुवाई के लिए बीजों को पहले 24 घंटे तक पानी में भिगोकर रखें। इसके बाद बीजों को खेत में लगभग 2-3 सेमी की गहराई में बोएं। करेला की फसल को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है।

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कब करे कटाई 

करेला की फसल बुवाई के लगभग 60-70 दिनों के बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है। फलों को तब तोड़ें जब वे मध्यम आकार के हों और गहरे हरे रंग के हों। नियमित रूप से फलों की तुड़ाई करने से पौधे पर नए फल आते रहते हैं।

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