ड्रोन तकनीक से मछली पालन में नई उड़ान: किसानों की आय में होगी बढ़ोतरी – केंद्र सरकार के मत्स्यपालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने कोलकाता स्थित आईसीएआर-केंद्रीय अंतर्देशीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीआईएफआरआई) का दौरा कर ड्रोन तकनीक के जरिये मत्स्य पालन प्रबंधन में हो रहे अनुसंधान एवं विकास की समीक्षा की। इस अवसर पर वैज्ञानिकों, राज्य के मत्स्यपालन अधिकारियों और मछुआरों ने सहभागिता की।
डॉ. लिखी ने मछली किसानों के साथ सीधा संवाद किया और उन्हें ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग से मत्स्य पालन में हो रहे बदलावों के बारे में जानकारी दी। इस नई तकनीक से मछली किसानों को न केवल उनकी उपज की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद मिलेगी, बल्कि मछलियों के परिवहन में समय और लागत की भी बचत होगी।
डॉ. लिखी ने बताया कि ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल मछली परिवहन में एक क्रांतिकारी कदम है। इसके जरिए मछलियों पर कम तनाव पड़ेगा और कम समय में ताजी मछलियां बाजार तक पहुंचाई जा सकेंगी। आईसीएआर-सीआईएफआरआई की यह पायलट परियोजना किसानों को अधिक मुनाफा दिलाने के साथ-साथ मछलियों की गुणवत्ता बनाए रखने में मददगार साबित होगी।
मछली किसानों के लिए बनेगा डिजिटल प्लेटफॉर्म
सचिव महोदय ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य समृद्धि योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) के तहत 6000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ राष्ट्रीय मत्स्यपालन डिजिटल प्लेटफॉर्म (एनएफडीपी) तैयार किया जाएगा। यह प्लेटफॉर्म मछली किसानों को ऋण, बीमा, और नई तकनीकों की जानकारी देने के साथ-साथ रोजगार सृजन और उत्पादन क्षमता बढ़ाने में सहायक होगा।
100 किलोग्राम पेलोड वाले ड्रोन का परीक्षण शुरू
इस परियोजना के अंतर्गत 100 किलोग्राम तक मछलियों का परिवहन करने वाला ड्रोन विकसित किया जा रहा है, जो 10 किलोमीटर तक जीवित मछलियों को पहुंचा सकेगा। यह प्रयास मत्स्य पालन क्षेत्र में दूरदराज के इलाकों में भी ताजी मछलियों की सुरक्षित और समयबद्ध डिलीवरी सुनिश्चित करेगा।
डॉ. लिखी ने संस्थान और अन्य हितधारकों से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि ड्रोन आधारित तकनीक का लाभ मछली किसानों तक जल्द से जल्द पहुंचे। उन्होंने इस तकनीक से होने वाले फायदों की जानकारी देशभर में मछली किसानों तक पहुंचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाने पर भी जोर दिया।